आजादी का स्वपन
आजादी का स्वपन
देश आज भी जब गरीबी ,बेकारी और भ्रष्टाचार से बदहाल है
कैसे कह दूं आजाद भारत का सपना साकार हुआ फिलहाल है?
डिग्रियां लेकर दर - दर भटक रहे नवयुवक- नवयुवतियां आजकल सड़कों पे,
हालत हुई आज उनकी कितनी खस्ताहाल है ।
हालात पर तरस आती उनकी मगर देश की शिक्षा व्यवस्था भी अंधकारमय कुहासे में छिपहाल है ,
तो फिर कैसे कह दूं कि ये आजाद भारत फिलहाल है?
कहीं बोरे -के- बारे अनाज सड़ रहे ,
तो कहीं लोग रोटी के अभाव में भूखे पेट ही सो रहे !
सड़क से संसद तक सत्ता के सौदागर की विकास की लंबी बिछी बिसात है ,
उनके हाथ में परिवर्तन की लंबी दिख रही ईजाद है ।
इस दोहरे अंधकारमय काल में कैसे कह दूं कि देश हमारा आजाद है?
फ्री राशन! फ्री बिजली ! फ्री पानी ! फ्री ईंधन! के बैनर तले शहर का हर चप्पा- चप्पा विकास की आँधी में निहाल है !अब बेचारी दुधमुँही जनता किसका फ्री स्वीकारे मची उनके अंदर भी बवाल है ।
अब हर ओर मुफ्त ही मुफ्त मिल रहे चाहे वो जुमला हो या झूठी दावों के आगे जलती उनकी मशाल है !
इस उधेड़बुन में किसी को कोई खबर नहीं कि देश के लिए देखे गए सुनहरे सपनों का हो रहा इन उजले कबूतरों द्वारा ही हलाल है ।
जाति- धर्म के नाम पर टुकड़े करते ,निज हित साधने के चक्कर में एक - दूसरे के भावनाओं का सहारा लेकर जहर उगलते !
इस स्थिति में कैसे कह दूं कि देश में अमन - शांति बहाल है?
जो तटस्थ हैं इस वक्त भी तो उनकी चुप्प भी अपराध है ,
समय लिखेगा उनका भी हिसाब जो इस तंत्र में कठपुतली बन नृत्य करे रहे उनके ईशारों पे फिलहाल है !
इस तरह कि द्वंद्ववाद में फँसी देश की हालत रंजीदा फिलहाल है ।
तो फिर कैसे कह दूं देश में हमारा आजाद अभी बहाल है ? कैसे में स्वातंत्र्य उत्सव मनाऊँ में ?
कैसे विजय पताका लहराऊँ मैं ??
जब आजादी के पिचहतर बरस बाद भी स्थिति बदहाल है ???
