STORYMIRROR

Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy

4  

Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy

आजादी का स्वपन

आजादी का स्वपन

2 mins
282

देश आज भी जब गरीबी ,बेकारी और भ्रष्टाचार से बदहाल है 

कैसे कह दूं आजाद भारत का सपना साकार हुआ फिलहाल है?

डिग्रियां लेकर दर - दर भटक रहे नवयुवक- नवयुवतियां आजकल सड़कों पे, 

हालत हुई आज उनकी कितनी खस्ताहाल है ।

हालात पर तरस आती उनकी मगर देश की शिक्षा व्यवस्था भी अंधकारमय कुहासे में छिपहाल है ,

तो फिर कैसे कह दूं कि ये आजाद भारत फिलहाल है?

कहीं बोरे -के- बारे अनाज सड़ रहे ,

तो कहीं लोग रोटी के अभाव में भूखे पेट ही सो रहे !

सड़क से संसद तक सत्ता के सौदागर की विकास की लंबी बिछी बिसात है ,

उनके हाथ में परिवर्तन की लंबी दिख रही ईजाद है ।

इस दोहरे अंधकारमय काल में कैसे कह दूं कि देश हमारा आजाद है?

फ्री राशन! फ्री बिजली ! फ्री पानी ! फ्री ईंधन! के बैनर तले शहर का हर चप्पा- चप्पा विकास की आँधी में निहाल है !अब बेचारी दुधमुँही जनता किसका फ्री स्वीकारे मची उनके अंदर भी बवाल है ।

अब हर ओर मुफ्त ही मुफ्त मिल रहे चाहे वो जुमला हो या झूठी दावों के आगे जलती उनकी मशाल है ! 

इस उधेड़बुन में किसी को कोई खबर नहीं कि देश के लिए देखे गए सुनहरे सपनों का हो रहा इन उजले कबूतरों द्वारा ही हलाल है ।

जाति- धर्म के नाम पर टुकड़े करते ,निज हित साधने के चक्कर में एक - दूसरे के भावनाओं का सहारा लेकर जहर उगलते ! 

इस स्थिति में कैसे कह दूं कि देश में अमन - शांति बहाल है?

जो तटस्थ हैं इस वक्त भी तो उनकी चुप्प भी अपराध है ,

समय लिखेगा उनका भी हिसाब जो इस तंत्र में कठपुतली बन नृत्य करे रहे उनके ईशारों पे फिलहाल है ! 

इस तरह कि द्वंद्ववाद में फँसी देश की हालत रंजीदा फिलहाल है ।

तो फिर कैसे कह दूं देश में हमारा आजाद अभी बहाल है ? कैसे में स्वातंत्र्य उत्सव मनाऊँ में ?

कैसे विजय पताका लहराऊँ मैं ??

जब आजादी के पिचहतर बरस बाद भी स्थिति बदहाल है ??? 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy