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Satyam Tripathi

Abstract

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Satyam Tripathi

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चुनाव जब आयेंगे

चुनाव जब आयेंगे

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जिनके खुद के घर शीश महल हो,

वो भी अब दूजे घर पत्थर मारेंगे।

गौर करेंगे सबकी कमियाँ,

अपने सारे ऐब छिपाएंगे।

नेताजी आकार भाषण खूब सुनाएंगे,

ये होगा, वो होगा, वादे हजार गिनाएंगे।

कट्टर शत्रु मित्र बनेंगे,

कुछ अपने भी अलग रंग दिखाएंगे।

हर रोज बनेंगे नव समीकरण,

जाति धर्म और भाषा के दम पर बैर बढ़ाएंगे।

लोकतंत्र का जब उत्सव होगा,

उस की ही पहली बलि चढ़ाएंगे।

भारत में चुनाव जब आयेंगे,

तब घर घर रुपए और कपड़े बांटे जाएंगे।


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