अवधपुरी में फिर राजा राम
अवधपुरी में फिर राजा राम
फिर अवधपुरी में, आन विराजे रघुनंदन राम
ना इसके, ना उसके, हम सब के प्यारे राजा राम
बाल रूप मनोहारी सूरत में देते मर्यादा का दान
जिसकी कृष्ण छवि से होता नारायण का भान
हे सीतापति! सदा बनाओ सबके बिगड़े काम
क्रोध, लोभ को जीते, दे दो प्रभु ऐसा वरदान
फिर अवधपुरी में, आन विराजे रघुनंदन राम
ना इसके, ना उसके हम सब के प्यारे राजा राम।