बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारे लिए
बात सिर्फ तुम्हारी नही है,
तुम्हारा जीवन बस तुम्हारा नही है।
ये उनका भी उतना ही है,
जिन्होंने सब कुछ किया बस तुम्हारे लिए।
जिनकी आत्मा को
तुम्हारे तपते शरीर ने जलाया है,
तुम्हे रोता देख कर
जिनके गले से न उतरा एक भी निवाला है,
तुम्हारे जिस्म से बहे थोड़े से लहू पर
जिसने अपनी कमाई का गाढ़ा हिस्सा बिना सोचे गवाया है।
जिसने तुम्हारी खातिर रात और दिन
को एक सा बनाया है,
फिर चाहे कड़कड़ाती ठंड हो या हो लू के थपेड़े
या फिर बरसता तूफान ही क्यों न हो।
जिन्होंने न सोचा एक भी पल,
बस तुम्हारे लिए।
तो कैसे होगा ये जीवन बस तुम्हारे लिए?
ये तुमसे भी ज्यादा है उनके लिए,
जिन्होंने सब कुछ बस तुम्हारे लिए।
