STORYMIRROR

Bhavna Thaker

Tragedy

4  

Bhavna Thaker

Tragedy

ए फ़रिश्ते इतना कर दे

ए फ़रिश्ते इतना कर दे

2 mins
249

सुना है क्रिसमस की रात आसमान से कोई फ़रिश्ता उतरता है झोली में अपनी हज़ार सपने लिए.. 


क्या वो हर स्त्री की रूह में बसी उम्मीदों को जानता है? मुझे देखना है हर स्त्री के सपनो को पूरा होते..


मखमली चद्दर से लिपटकर आधी रात को धैर्य पूर्ण रूप से आशाओं को फलीभूत होते

क्या सांता मेरी सच्ची इच्छाओं को जानता है..


क्या मिलेगा हर स्त्री को ऐसा हमसफ़र,

स्त्री को महसूस होती है एक शख़्स की कमी, हर स्त्री को चाहिए एक पुरुष ऐसा जो वासना से परे मन की धरा को छूकर उनकी इच्छा पसंद नापसंद और मर्ज़ी को पहचान ले...

 

जो बेइन्तहाँ प्यार करना जानता हो, देह नहीं नारी समझे, इंसान समझे, चीज़ नहीं जीव समझे..


सांता अगर आप सच में सबको उपहार देते हो तो,

मेरे अरमानों की प्रत्यंचा अपने हाथ में धरो, मेरी आत्मा को खुश करो, हर स्त्री का आँचल पुरुष के जिस्म से बहते सम्मान से भर दो उसकी वाणी में नर्म लहज़े का झरना भर दो..


एक ऐसा प्रेमी जो स्त्री की शरारतों के संग अपनी हंसी को मलते उनके साथ हर ख़्वाब देखें, मुझे कोई उपहार का बक्सा नहीं चाहिए स्त्री के वजूद का मान रखें ऐसा पति नहीं साथी चाहिए..

 

सांता तू कोई जादू है करता तो हर स्त्री के जीवन की उस कमी में साँसें भर दे..

क्या आज तक किसी स्त्री ने ये उपहार मांगा ही नहीं? या सांता ने स्त्री की ये कामना सुनी ही नहीं।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy