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Saroj Garg

Tragedy

4  

Saroj Garg

Tragedy

कौन सुने फरियाद

कौन सुने फरियाद

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देश हमारा जल रहा ,

नेता कैसे छल रहा ,

जीवन अंधकार है ,

कौन सुने फरियाद। 


नेता ढपली बज रही ,

जनता उसमें पिस रही ,

कुछ समझ आता नहीं ,

लोग हुए बर्बाद ।।


वोटों की बस चाह है, 

बिकते यहाँ हर माह हैं,

खरीद फरोख्त चलती ,

सभी हुए बेजार ।


निर्ममता जो फैलती,

जनता ही फिर झेलती,

कैसे जीवन जीऐ 

सब कुछ है बेकार ।।


पनघट गोरी चल रही ,

राधा भी फिर छल रहीं,

मधुर मुरलिया सुन रहीं, 

माधव आये साथ ।


नदिया छमछम बह रही,

लहर -लहर मस्ती बही 

प्रीतम प्यारे गायें, 

राधा मोहन नाथ ।।


मधुबन बरसा मेह है ,

सावन लागे गेह है ,

राधा मोहन साजे ,

बुझती नैनन प्यास ।।


गोकुल पावन धाम है ,

गिरधर बसते आम है, 

पावन भूमि भाग्य है, 

वृन्दावन का वास ।।

  



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