कौन सुने फरियाद
कौन सुने फरियाद
देश हमारा जल रहा ,
नेता कैसे छल रहा ,
जीवन अंधकार है ,
कौन सुने फरियाद।
नेता ढपली बज रही ,
जनता उसमें पिस रही ,
कुछ समझ आता नहीं ,
लोग हुए बर्बाद ।।
वोटों की बस चाह है,
बिकते यहाँ हर माह हैं,
खरीद फरोख्त चलती ,
सभी हुए बेजार ।
निर्ममता जो फैलती,
जनता ही फिर झेलती,
कैसे जीवन जीऐ
सब कुछ है बेकार ।।
पनघट गोरी चल रही ,
राधा भी फिर छल रहीं,
मधुर मुरलिया सुन रहीं,
माधव आये साथ ।
नदिया छमछम बह रही,
लहर -लहर मस्ती बही
प्रीतम प्यारे गायें,
राधा मोहन नाथ ।।
मधुबन बरसा मेह है ,
सावन लागे गेह है ,
राधा मोहन साजे ,
बुझती नैनन प्यास ।।
गोकुल पावन धाम है ,
गिरधर बसते आम है,
पावन भूमि भाग्य है,
वृन्दावन का वास ।।