" नया भारत "
" नया भारत "
सुस्त रफ्तार से
गाड़ी चल रही है
बैठे -बैठे हमलोगों
को नींद आ रही है
जहाँ उतरना है
उतर नहीं पाते हैं
जहाँ नहीं जाना है
वहाँ वे ले जाते हैं
मंज़िलें पीछे
छूट जातीं हैं
सड़कें वीरान
हो जातीं हैं
द्रुत गति ट्रेनों को
चलाया जाता है
पर हादसा को न कभी
टाला जाता है
हमने तो सुस्त रफ्तार
में जीना सीख लिया
हर मुसीबतों को
झेलना सीख लिया
चुनावी प्रचार फिर
किया जाएगा
“ मुझे वोट देना ”
बुद्धू बनाया जाएगा
हम कभी अपनी एक
आँखें खोलेंगे
उन्हें कनखियों से
देखकर फिर सो जाएंगे
सुस्त गाड़ी में ही
इनके प्रचारक आते हैं
और सबको “नये भारत”
का सपना दिखाते हैं !!
