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Tanha Shayar Hu Yash

Tragedy

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Tanha Shayar Hu Yash

Tragedy

घटिया लिबास

घटिया लिबास

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ये नंगें लोगों की पसंद के, ऊँचे लिबास,

लोगों को रिझाने की कोशिश घटिया बात,

और इनके पंगू घटियां और ओछे से राज़ । 


क्या आवाज़ दबी है कभी इंसानियत की,

क्या मज़हब से बड़ा हुआ है कोई आज,

ये नंगें लोगों की पसंद के, ऊँचे लिबास । 


बदल कर वेशभूषा, घुसे हमारे दिलों में,

लिखकर आये है, अपनी हैवानियत आज,

ये नंगें लोगों की पसंद के, ऊँचे लिबास । 


बना डाला है इन्होने हर गली रोती आवाज़,

देखो झाको मारों तुम सब मिलकर आज,           

ये नंगे लोगों की पसंद के, ऊँचे लिबास । 


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