क्या हम इस पराधीनता की बेरियों को छोड़ वापस जा सकते हैं क्या। क्या हम इस पराधीनता की बेरियों को छोड़ वापस जा सकते हैं क्या।
मेरा उपन्यास... उनके अभेद्य हृदय का... स्पंदन ही था। मेरा उपन्यास... उनके अभेद्य हृदय का... स्पंदन ही था।