किसान
किसान
न दिन देखता न रैन,
बस मेहनत जिसका पेशा है।
तन तोड़ मेहनत नहीं,
पूंजीवादियों ने इनको रेता है।
अन्नदाता कहलाता,
फिर भी स्वयं अन्न को रोता है।
रिश्तों को संजोता है,
फिर भी चैन से नहीं सोता है।
बीज, खाद ,पानी का जुगाड़,
निरंतर चलता रहता है।
निखालस बुद्धि औ निरंतर सेवा,
कभी न शिकायत करता है।
सब कुछ अच्छा कहता,
बस अपनी किस्मत को कोसता रहता है।
देश के धरती पुत्र को वंदन ,
सब कुछ जान कर भी संतोष धन लिए फिरता है...!!
