अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर
आधे-अधूरे प्रयासों से ज्यों ,
सफल न होता कोई व्यक्ति।
कैसे संपूर्ण विकास संभव,
हो सकता है बिन नारी शक्ति?
पुरुष और नारी से ही होती प्रकृति पूरी,
दोनों से ही पूर्णता बिन किसी के अधूरी।
दोनों पूरक एक दूजे के सबको ही ज्ञान,
भागीदारी अधिकार प्रतिष्ठा भी हैं समान।
कर रही सहभागिता जब हर एक क्षेत्र में,
मिले उचित सराहना- विचार अभिव्यक्ति।
आधे-अधूरे प्रयासों से ज्यों ,
सफल न होता कोई व्यक्ति।
कैसे संपूर्ण विकास संभव,
हो सकता है बिन नारी शक्ति?
बातें तो न जाने होती हैं कितनी,
किए जाते हैं नित नये- नये वादे।
बताशे बातों के अगणित हैं बनते ,
वास्तविकता न बन पाते हैं ये इरादे।
सैद्धांतिक योजना व्यावहारिक भी हो,
चाहिए साहस और दृढ़ संकल्प शक्ति।
आधे-अधूरे प्रयासों से ज्यों ,
सफल न होता कोई व्यक्ति।
कैसे संपूर्ण विकास संभव,
हो सकता है बिन नारी शक्ति?
कानून लेख भाषण से जो हल होती मुश्किल,
तो सारा ही जगत यह समस्या रहित होता।
पुत्री मात भगिनी सा सम्मान पाती हर नारी
भ्रूण हत्या न शोषण न ही बलात्कार होता।
मुख में राम नाम हो पर बगल में छुरी बिन,
तब कहीं न्याय पाएगी वंदनीय नारीशक्ति।
आधे-अधूरे प्रयासों से ज्यों ,
सफल न होता कोई व्यक्ति।
कैसे संपूर्ण विकास संभव,
हो सकता है बिन नारी शक्ति?
