कागज़ की नाव
कागज़ की नाव
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माँ काग़ज़ की एक नाव बना दो सबको उसकी सैर करवाऊंगा
बाथ टब को तालाब बनाकर गुड्डा - गुड़िया को सैलानी बनाऊँगा।
ढ़ेर सारे कमल बिछाकर तालाब को सुन्दर बनाऊँगा बत्तख,
जलमुर्गी को सजाकर तालाब को हरा भरा दिखाऊंगा
गुड्डा पतवार चलाएगा गुड़िया बैठ मुस्काएगी
जब नांव सरपट दौड़ेगी गुड़िया हर्षित हो चिल्लाएगी
बेटे की सुन कल्पना मां मन ही मन मलकाती है
देख बेटे का मासूम चेहरा काग़ज़ की सुन्दर नांव बनाती है।
