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dr.Susheela Pal

Tragedy

4  

dr.Susheela Pal

Tragedy

जाने न मेरे दिल की पीर

जाने न मेरे दिल की पीर

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जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल,

न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।

खुद से ये बाते करतें हैं,

मौन भला क्यूँ नही रहते हैं।


जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल 

न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।


रिमझिम रिमझिम झरते हैं।

जाने क्यूँ, अँखियों से मेरी ये जलते हैं...

न जाने ये मेरे हिती कैसे बने 

अँखियों को मेरी, सौतन जो ये कहे 


जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल 

न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।


खारे-खारे पानी की गर्म ये बूंदें...

करती मनमें शोर ये बूंदे..

कैसे माने ठौर ये बादल,

जो हर पल सफर में रहते हैं।


जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल 

न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।


कलियुग की है बात निराली, 

ताक पर बैठा है हर सवाली

 झूठे की बात सभी पतियाय  

बस खरा सोना ही परखा जाय।


जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल,

न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।


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