जाने न मेरे दिल की पीर
जाने न मेरे दिल की पीर
जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल,
न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।
खुद से ये बाते करतें हैं,
मौन भला क्यूँ नही रहते हैं।
जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल
न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।
रिमझिम रिमझिम झरते हैं।
जाने क्यूँ, अँखियों से मेरी ये जलते हैं...
न जाने ये मेरे हिती कैसे बने
अँखियों को मेरी, सौतन जो ये कहे
जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल
न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।
खारे-खारे पानी की गर्म ये बूंदें...
करती मनमें शोर ये बूंदे..
कैसे माने ठौर ये बादल,
जो हर पल सफर में रहते हैं।
जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल
न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।
कलियुग की है बात निराली,
ताक पर बैठा है हर सवाली
झूठे की बात सभी पतियाय
बस खरा सोना ही परखा जाय।
जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल,
न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।
