मैं
मैं
तुम्हारी नज़रों मे दुनिया को देखूं
या दुनियां को तुम्हारी नज़रों से
मायने कैसे बदल जाएंगे जिन्दगी के
भुलावा दोनों सूरत में खुद को ही देना है ।
तुम्हारी नज़रों मे दुनिया को देखूं
या दुनियां को तुम्हारी नज़रों से
मायने कैसे बदल जाएंगे जिन्दगी के
भुलावा दोनों सूरत में खुद को ही देना है ।