दुख तो होता है..
दुख तो होता है..
दुख तो होता है
जब अहसास होता है
की अब कुछ
पहले जैसा नहीं रहा
मगर ये दुख
उनसे कहा नहीं जाता
जिनसे जुड़ा हुआ
होता है।
ऐसा लगता है
जैसे अचानक कुछ
खो गया हो
या छूट गया हो कहीं
जाने अनजाने
हमसे या फिर
उनसे
या कि हम सबसे।
एक ठंडी
टीस तेजी से
दिल मे गहरे कहीं
उतर जाती है,
होंठ जम से जाते हैं
गला भी रुंध जाता है
छटपटाती
भावनाओं का दम
घुट जाता है
और आखिर में
आदतन आंख में भी
कुछ पड़ जाता है
मगर
फिर भी कहीं भी
किसी से नहीं
कुछ भी कहा ही
नहीं जाता है
सब अनकहा
ही रह जाता है।
दुख तो होता है
जब अहसास होता है
कि अब कुछ
पहले जैसा नहीं रहा।