कर्णधार
कर्णधार
तुमसे ही तो देश की शक्ति,
तुम ही कल के कर्णधार।
तुमसे ही तो नींव कल की,
तुम ही भविष्य के हो आधार।
दृढ़ संकल्पित कदम बढ़ाओ,
देश का परचम लहराओ।
करो विकास देश का आगे,
विश्व पटल पर नाम कमाओ।
विवेकानंद के आदर्शों को,
जीवन में तुम अपनाओ।
अपने भीतर के विवेक को,
तुम भी बाहर तो लाओ।
अपने लक्ष्य संग कदम बढ़ा कर,
चहुंओर परचम फहराओ।
देश समाज बने यह सुंदर,
वही कार्य करते जाओ।
अपनी शक्ति को बना लो भक्ति,
देश को तुम करने मजबूत।
सुनो युवा तुम सच्चे लाल हो,
भारत माॅं के तुम हो सपूत।
