प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
नये उथान की बड़े पहचान की है मुझे प्रतीक्षा,
मन के अन्दर चल रहा है एक नया द्वन्द,
कौन होगा मेरा सहायक मेरा वो पिता,
थाम ले बाह मेरी पथ बना दे आसान,
है मुझे जिसकी प्रतिक्षा.जोड़ दे बुद्धि
और प्रेम इस देह मै तोड़ दे मेरा घमंड.
सीचने है मुझे वन, खेत खलिहान,
कर परिश्रम अति विशाल,
जीवन बन जाये धरा पे शुद्ध और खुशहाल,
पबित्र हो अपनी वाणी आत्मा के प्रकाश से,
चहु ओर छाए दिब्य सुगंध हर्ष गीत उल्लास से,
कोई तो पास मेरे कर सके जो मन की बात,
रवि का हो आगमन या घिर आये काली रात,
आह हो न दाह हो बस प्रेम की राह हो,
सर्व सुख का चिंतन मै करू एक यही चाह हो.
बस यही प्रतीक्षा है कोई तो थामे बाह दे सके
मुझे साहस पृथ्वी का हो अविरल बिकास
बस यही प्रतीक्षा है...