चार भाई।
चार भाई।


बड़ी मुश्किल से इन राहों पर दिलदार मिलते है
तुम सोचते हो हमेशा वोही, अरे भाई हम चार मिलते है।
खैरियत पूछने से उनके कभी तकलीफ नहीं होती,
तुम खोये हो अभी तक वंही, इस दर्द में भी बस चार मिलते है।
सुहानी रात मदहोश दिन कल आज भी हमारे है
मैं कर रहा हूँ भाई हमारी ही बात, यहाँ हम ही चार मिलते है।
वो नई पुराणी यादों का सिलसिला, पतंग सा उड़ता रहता है,
किसी की भी कटे पतंग, तो डोर से बंधे भी हम चार मिलते है।
खवाहिशे हो या अफ़सोस ग़म के दिन हम साथ है
ऐसी ही मिशालें देते हुए हम यारों को, दुनियां में चार मिलते हैं।