प्यार के रंग भी हैं हज़ार
प्यार के रंग भी हैं हज़ार
प्यार के रंग भी हैं हज़ार,
यह कैसा कैसा होता है प्यार,
किसी का तो बिल्कुल सच्चा,
किसी के भरोसे की ले कुर्बानी।
किसी को हो शक़ अगर,
तुम्हारी पाक मोहब्बत पर,
कई माँगे सबूत हर मोड़ पर,
किसी को हो यकीं तुम पर,
तो वह दिल और रूह देकर,
सिर्फ़ कोई मांगे निशानी।
कोई तो दे जाए होने के,
अपने दीदारे अहसास से,
दिल को बहुत सुकून,
अपने बहुत बुरे बर्ताव से,
कोई जो तुम्हारे सिर्फ़ दे,
दिल को गहरी परेशानी।
कोई तो अपनेपन की,
मिठास से तुम्हारे दे,
दिल को बड़ा इत्मीनान,
कोई गैरों के जैसे दे,
कड़वे बोल और तानों से,
दिल को बहुत हैरानी।
फ़र्क करना सीखो,
कि कौन है चोखा,
कौन है सच्चा फ़रिश्ता,
कौन है सिर्फ़ धोख़ा,
जो तुम्हें दिये जा रहा है,
और कर रहा शैतानी।
कोई भी अगर हो जाए,
प्यार में ऐसा पागल,
तुम में से परवाना,
कोई हो जाए घायल,
प्यार में इस कदर,
और हो जाए मस्तानी।
पहले तुम याद रखना ये,
सारे मेरे नियम सारे क़ायदे,
जैसे हो कोई गुरबानी,
पहले परखो कि दग़ा न दे,
फिर तो कभी न होगी,
किसी से कोई नादानी।
प्यार के रंग भी हैं हज़ार,
यह कैसा कैसा होता है प्यार,
किसी का तो बिल्कुल सच्चा,
किसी के भरोसे की ले कुर्बानी।