ठग
ठग
हर जगह बैठे हुए है,आज ठग
रोशनी भी हुई आज अंधेरे संग
रिश्ते जा रहे,ठगी कारण चटक
हर रिश्ते में लगें,स्वार्थी दीमक
अंधेरा दे रहे है,आज कुलदीपक
रिश्तों का आज टूट गया है,पग
स्वार्थ की इस तरह हुई,दस्तक
लोहा दिखने लगा,आज कनक
इस ठगी ने लूट ली,परछाई तक
स्वार्थ की लोगों को चढ़ी सनक
छोड़ दी लोगों ने इंसानियत तक
सब ही कह रहे,ठगना,मेरा हक
जो भोला,वो लगे बेवकूफ़ बक
खतरा बरकरार है,आज पग-पग
आंसू भी जा रहे,छोड़कर,पलक
हर जगह बैठे हुए है,आज ठग
पर ठगीवालों को मिलता वो,सबक
उनकी जिंदगी बनती नर्क,मरने तक
पर इस ठगी से जो रहते है,अलग
उनके जीवन मे तो रहती है,रौनक
वो दुनिया में चमकते,बनकर हीरक
जो चलते है,निःस्वार्थता की सड़क
जो ठगी का पहनते नही है,ऐनक
वो तारा बनकर चमकते है,फ़लक।