समझदार मूर्ख
समझदार मूर्ख
जब कोई व्यक्ति सब से बात करता है।
धूर्त को सहारा बना मित्रों पर हँसता है।
सब से साझा दिल के हालात करता है।
भले मित्र के सुख को डंक से डसता है।
मित्र बोल कर विश्वास की बात करता है।
वह बुद्धिमानी का दम भी बहुत भरता है।
मित्र की पीठ पर गहरा आघात करता है।
सत्य का सामना करने से बहुत डरता है।
शतरंज का खेल मान शह मात करता है।
सभी से सुख दुख भरे जज़्बात कहता है।
रंग बदलने की आदत दिन रात करता है।
हर कोई उसको समझदार मूर्ख कहता है।