STORYMIRROR

Sapna K S

Drama

4  

Sapna K S

Drama

जरा सी जिंदगी...

जरा सी जिंदगी...

1 min
331

जरा सी जिंदगी के लिए,

उम्र भर यूँ भटकते रह गए,

मिली जो मंजिल भी मुसाफिर को,

कदमों के निशान ढूँढते रह गए...

अपनी सी जो हैं ये दुनिया कहीं,

बस कहने की दो बातें हैं,

मिले फिजूल का वक्त कहीं,

ये मिलने को चले आते हैं....

तुम्हारे मकान का नंबर आज भी याद है हमें,

चाहे कितने भी रंग बदल लो अपनी दीवारों के,

धूल तो जमीं ही होगी कहीं एक कोने में,

जहाँ पड़ी होगी रद्दी अपनी ही यादों की....

नींद जरा सी सुकून देती हैं,

पर नींद ही हरजाई रात भर आती नहीं,

आँखों का पानी सुख भी जाए,

बस कहानी तनहाई की खत्म होती नहीं....

अक्सर मिलना बिछड़ना

एक खेल रहा तकदीर का,

तेरी नीयत का जो मौसम बदला तो,

रंग बदलता आया तेरी तस्वीर का.....

अब के कहते हैं, इश्क ना दोहराना है,

हसीन चेहरे तो हैं हजारों महफिल में,

दो - चार नगमों के बाद,

उनको भी उठकर चले जाना हैं.....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama