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Soni Gupta

Drama

5.0  

Soni Gupta

Drama

बचपन के दिन कितने अलग हुआ करते

बचपन के दिन कितने अलग हुआ करते

2 mins
469


वो समय भी क्या था जब बचपन के दिन कितने अलग हुआ करते थे

वो बचपन भी कितना अलग था जब हम उस बचपन को जिया करते थे


मोबाइल फोन की दुनिया से दूर दोस्तों के साथ घंटो बातें किया करते थे

वो छुपना छिपना रस्सी से कूदना पिट्टू गिराने के खेल खेला करते थे


रात को सोने से पहले दादी से किस्से कहानियाँ सुन कर सोया करते थे

परीक्षा के समय दही खाकर बड़ों का आशीर्वाद लेकरस्कूल जाया करते थे


स्कूल में पढ़ते समय कई कई बार अपने गुरु का चित्र भी बनाया करते थे

वो समय भी क्या था जब बचपन के दिन कितने अलग हुआ करते थे


स्कूल के बाहर चूरन खट्टी इमली और काली पीली टाफी खाया करते थे 

वो काँच के गिलास से बर्फ़ के गोले बनवाकर बड़े चाव से खाया करते थे


छुट्टी के बाद तेज बारिश जब आती फिर खूब भींग के घर जाया करते थे 

घर के आगे बहते पानी में कागज़ की नाव बनाकर चलाया करते थे


फिर बारिश में झूमना मिट्टी से खेलना इसी में मस्त रहा करते थे

टी.वी न होने पर रामायण देखने हम दूसरों के घर भाग जाया करते थे


रविवार का चित्रहार चंद्रकांता और जंगल बुक दिल को भाया करते थे

वो समय भी क्या था जब बचपन के दिन कितने अलग हुआ करते थे


मम्मी की साड़ी चूड़ी बिंदी लगाकर शीशे में खुद को घंटो निहारा करते थे

बत्ती जाने पर मोमबत्ती जपरछाइयों से आकृतियाँ बनाया करते थे


साँप सीढ़ी का खेल वो लूडो और कैरम जो सबके साथ खेला करते थे

कई बार दोस्तों से खेल खेल में कट्टी और फिर अब्बा किया करते थे


वो बचपन भी क्या था चाकलेट की जगह गुड़ की पट्टी खाया करते थे

वो समय भी क्या था जब बचपन के दिन कितने अलग हुआ करते थे।


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