हर दिन ज़िंदगी को...
हर दिन ज़िंदगी को...
2022 आरंभ काव्य
हर दिन मज़ेदार-सी
शुरुआत कीजिये
हर दिन ज़िंदगी को
सुप्रभात कीजिये
हर दिन निकालिए
फुर्सतों के कुछ पल
हर दिन अपने आप
से भी बात कीजिये
हौसलों के फूल
कहीं सूख न जाये
खारे आँसू की न
बरसात कीजिये
फोन से संबंध यदि
बिगड़ने लगे तो
रूबरू आकर ही
मुलाक़ात कीजिये
काँच की तरह हैं
माँ- बाप के भी दिल
जुबां के हथौड़े से न
आघात कीजिये
कमेन्ट के तीर से
आहत न करें दिल
ऑनलाइन भी न
रक्तपात कीजिये
हर दिन मजेदार सी
शुरुआत कीजिये
हर दिन ज़िंदगी को
सुप्रभात कीजिये