STORYMIRROR

Gautam Sagar

Others

3  

Gautam Sagar

Others

आदमी आँखों से कहाँ देखता है

आदमी आँखों से कहाँ देखता है

1 min
394

आदमी आँखों से कहाँ देखता है 

आदमी विचारों के चश्मे से देखता है 

और हर आदमी के पास 

कई तरह के विचार है 

कई तरह के चश्में है 

एक ही पीपल के पत्ते में 

कोई हृदय की आकृति देखता है 

कोई रौंद कर आगे बढ़ा जाता है 

कोई उस पर पैंटिंग बनाता है 

कोई उस पर कविता लिखता है 

कोई उसे अपने बकरी के लिए 

उठा लेता है 

कोई उसे प्रयोगशाला में 

पादप विज्ञान जानने में 

प्रयोग करता है 


यह तो एक मामूली पत्ते की बात थी 

सोचो 

पूरी प्रकृति को कितने चश्मों से 

देखा जाता होगा 

कोई नदी में पानी देखता होगा 

कोई नदी में बिकने वाला बालू देखता होगा 

कोई नदी में जीवन देखता होगा 

कोई नदी को मौत का पर्याय मानता होगा 

कोई नदी में प्यार देखता है 

कोई नदी में व्यापार देखता है 


आदमी आँखों से कहाँ देखता है 

आदमी विचारों के चश्मे से देखता है 

और हर आदमी के पास 

कई तरह के विचार है 

कई तरह के चश्में है 


Rate this content
Log in