क्या पता, कब, कहां मिल जाए सोलमेट। क्या पता, कब, कहां मिल जाए सोलमेट।
हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है। हाँ ये सच है मेरी कविता मेरी खुद की परछाई है।
एक ही पीपल के पत्ते में कोई हृदय की आकृति देखता है कोई रौंद कर आगे बढ़ा जाता है कोई उस प... एक ही पीपल के पत्ते में कोई हृदय की आकृति देखता है कोई रौंद कर आगे बढ़ा ...
इंसान, इंसान नहीं, रोबोट हो गया है ! इंसान, इंसान नहीं, रोबोट हो गया है !
लोग खाये चना, तुम्हे सत्तु मिले भाई बुढ़ापा इसे कहते है भाई लोग खाये चना, तुम्हे सत्तु मिले भाई बुढ़ापा इसे कहते है भाई
हर एक का है चश्मा जुदा हर एक का है चश्मा जुदा