समझदार
समझदार
उसने सीखा अक्षर पहचानना
और वह जीवन में
एक कदम आगे बढ़ गई।
उसने अक्षरों को जोड़ कर
पढ़ना सीखा
और एक विश्वास कायम किया
कि वह समझदार हो गई
उसने पहचाना अंकों को
और वह सोचने लगी
हल कर लेगी जीवन
का गणित।
उसने सीखा लिखना अपना नाम
जिसे कहते हैं सही
और वह भर गई विश्वास से
कि अब कुछ गलत न होगा उसके साथ
फिर उसके सामने रखा गया
एक कागज
कुछ क्रास लगाए
जहाँ करने थे सही
ये गलत था या नहीं
नहीं जानती थी वह।
उसने जानना चाहा उनके बारे में
और उसे कहा गया
वह करो जो कहा गया है
उसने कर दिये सही
और सभी शब्द
काले बिंदु बनकर रह गये
शून्य बनकर।
उसका अस्तित्व
अब इन बिंदुओं के घेरे में था।