एहसास...
एहसास...
आज के स्वार्थ से भरे दुनिया में
लोग अपनी मुंह से
बड़ी-बड़ी बातें तो
अक्सर बहुत किया करते हैं...
वे लोग आपके सुख के साथी बनकर
आपके साथ होने का
"झूठा अभिनय" करते
नज़र आते हैं, मगर
आपकी विपदा के काल में
हवा का रूख ही
बदल दिया करते हैं...!
सुनने में बुरा लगता है, मगर,
ऐ दुनियावालों ! यही हक़ीक़त है...!!!
मगर फिर भी कुछ
नक़ाबपोश गद्दारों की
गद्दारी से परे
इस बड़ी दुनिया में
दरियादिल लोग भी हैं, जो कि
स्वेच्छा से आगे आकर
मदद करने को
अपना मजबूत हाथ
आगे बढ़ाते हैं...!
वे लोग रुपये उधार माँगने पर
"ब्याज" कमाई करने की
मनसा को ज़ाहिर न कर
बिना ब्याज की बाज़ी लगाए ही
बेहद मजबूरी में
मदद की गुहार लगानेवाले
किसी भी इंसान की
तहेदिल से मदद किया करते हैं...!
वे लोग
किसी ज़रुरतमंद इंसान की
कई तरह से (सच्चे दिल से)
हमेशा मदद किया करते हैं... ;
किसी की मजबूरी का
गलत फायदा नहीं उठाया करते हैं...
वे तो बस इंसानियत को
ऊपर रखकर
प्रत्यक्ष रूप में त्याग किया करते हैं...
सीधे मुंह किसी लाचार-मजबूर इंसान को ज़ुल्मी बन "नकार" नहीं दिया करते हैं...!
स्वार्थीपन का वृतांत नहीं सुनाते हैं...
बाहनेबाज़ी का तबाबाना
नहीं शुरु किया करते हैं...!
इसलिए हम उन दरियादिल
देवतुल्य व्यक्तियों को
नतमस्तक होकर नमन करते हैं...
मगर जनाब! हमनें अपने बुरे वक़्त में
अपने पिता-माता, भाई-बहन एवं कुछ अपने दिल के करीब रहनेवाले
निस्वार्थ लोगों के अलावा बाकि सारे
'नाम बड़े और दर्शन छोटे' वाले गुट के
तथाकथित सफल-समर्थ-वस्तुवादी
मनोदशा वाले
मृतप्राय लोगों के चेहरों से
नक़ाब उतरते देखे हैं...!!!
इसीलिए हम आजकल
फूंक-फूंक कर कदम रखते हैं...!
हाँ, हम बेशक़ इस भीड़ में
अपने विपदा-काल के
सच्चे साथियों को
भलीभांति पहचानते हैं...!!!
इसलिए हम उन देवतुल्य व्यक्तियों का
तहेदिल से शुक्रिया अदा करते हैं...
(और उन नक़ाबपोश गद्दारों को
"तौबा! तौबा!" करते हैं...!!!)
