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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy Inspirational

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Pankaj Prabhat

Drama Tragedy Inspirational

दहेज़

दहेज़

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सात फेरों के घेरे में जब दो दिल सिलते हैं,

तो पैसे की आग में वो फिर क्यों जलते हैं,

भीख को दहेज का नाम देकर क्यों लोग,

अक्सर शादी के मायने को शर्मिंदा करते हैं।


बेचते हैं बेटा या बहु खरीदते हैं,

इस बाजार में ऐसे भी मिलते हैं,

दहेज से जलाते हैं घर किसी का,

चलन के नाम पर खुद को शर्मिंदा करते हैं।


पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय,

माँग दहेज पूत के नाम, क्यों तू अपनी खुशियों पर खर्चे,

बिन दहेज भी जो आएगी घर में ओढ़े तेरे पूत का नाम,

वंश बढ़ाएगी वो तेरा, उसके लाल से होंगे तेरे यश के चर्चे।


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