जीवन की कड़ियों को यही तो मिलाती है। जीवन की कड़ियों को यही तो मिलाती है।
और क्यूँ ये पक्षपात की नींव धरे ? और क्यूँ ये पक्षपात की नींव धरे ?
औरत अपने हौसले से, दूसरों की तकदीर बदलती है, औरत अपनी उन्नति से, राष्ट्र की उन्नति करती है। औरत अपने हौसले से, दूसरों की तकदीर बदलती है, औरत अपनी उन्नति से, राष्ट्र की उ...
नहीं देखना और किसी को, रंगना यही बस रंग मुझे। नहीं देखना और किसी को, रंगना यही बस रंग मुझे।
दर्द सह के चुप रहने लिए हैं बेटियाँ अपने मन के कपड़े पहने तो बाजारू दर्द सह के चुप रहने लिए हैं बेटियाँ अपने मन के कपड़े पहने तो बाजारू
समाज आज भी इनको अपनाना नहीं चाहता हैं तो फिर,आप सब ही बताए कैसे यह समाज बदलेगा? समाज आज भी इनको अपनाना नहीं चाहता हैं तो फिर,आप सब ही बताए कैसे यह समाज...