"वंश बेल.. बेटा या बेटी.?"
"वंश बेल.. बेटा या बेटी.?"
"वंश बेल..बेटा या बेटी..??"
"हृदय में ही छिपा पीड़ा,
मैं अधर मुस्कान सजाती हूँ
जीवन भर खोजा खुद को,
फिर भी कहीँ नही, मैं पाती हूँ
दुनिया की कुछ बातों से
अनायास व्यथित हो जाती हूँ
"पुत्र रत्न की चाह में
सबको ग्रस्त मैं पाती हूँ
मान वंश बेल बेटे को,
बेटी की बलि चढ़ाती हूँ
करवा हत्या तुम उस अजन्मी की, क्यों ..??
माँ से, मुझे पापिन बनाते हो...??
एक माँ की कोख में, क्यो..?
भावी माँ को मारते हो.?
मैं माँ हूँ, बस
घुट कर रह जाती हूँ
तुम्हारी सोच पर
मौन अश्रु बहाती हूँ
बेटे से चलता वंश, ये सुन..
स्वयं सोच में पड़ जाती हूँ
बिना बेटी के कैसे.. ??
आगे किसको जीवन मिल पायेगा..?
कहते वंश बेल जिसे,
वो बिन दुल्हन, कैसे .?
घोड़ी चढ़ जायेगा
जब बेटियाँ ही न होगी दुनिया में
तो वंश चलाने वाला कैसे आयेगा.?
