"मोहब्बतें"
"मोहब्बतें"
मुहब्बत की मीठी सी मुस्कान ले कर
छाया था, दिल की ज़मीं पर इश्क़ का आसमान हो कर
खामोश नज़रो से सुनी गई मोहब्बतें,
धड़कनों को मेरी, अपनी जुबान दे कर
ढल गया, ज़िन्दगी में वो मेरी, ज़िन्दगी बन कर
आया था, जो पल दो पल का मेहमान हो कर
मुहब्बत बन कर बहा नस- नस में,इश्क़ का एक जुनून होकर
अब मुझमे धड़कने लगा था कहीँ, इस दिल की धड़कन ले कर
मेरा चाँद बनकर रूठा कभी, तो कभी जगाया सुबह की मीठी मुस्कान दे कर
उतर कर रूह में, लफ्ज़ो सा ढल गया,इश्क़ की एक दास्तान बन कर
छाया है, आज भी जो दिल की ज़मी पर, इश्क़ का आसमान हो कर।