तेरा जाना
तेरा जाना
तुम्हारे जाने के बाद,
मैं जब भी अपनी आंखों को बंद करती हूँ ,
तो पाती हूँ ,
हर बार तुम्हें अपने हृदय से, बिल्कुल वैसे-सी सिमटा हुआ,
जैसे प्रतीत होता है,
चंदन के वृक्ष से है कोई सॉंप आज भी लिपटा हुआ,
मैं कभी आज़ादी की सांसों को भर ही नहीं पाई,
तेरे जाने के बाद भी..
विरह बेड़ियों ने तुझ संग मुझे आज भी है जकड़ा हुआ,
मैं मोहब्बत में राधा कभी बन ही नहीं पाई,
ना ये दुख मुझे मीरा बन अमृत रुप लगा,
जानते हो..
सजदे कर मैं कभी मन्नतें मांग ही नहीं पाई..
और जानती हूँ अब तुम्हें मुझ तक आने की ना कोई सुध रही,
ना लौट आने का अब कोई मार्ग बचा ,
तुम दूर हो कर भी मुझसे दूर नहीं,
तुम सजते हो माथे की बिंदी में मेरी,
कल की तरह, सजे रहोगे अब तुम सदा,
और
तुम्हारा मुझ में आज भी झलकते रहना ही,
प्रमाण है..
तुम्हारा प्रेम ही है जो तुम्हारे आने की करता है असमाप्य प्रतीक्षा।