STORYMIRROR

Suresh Sangwan

Romance

4  

Suresh Sangwan

Romance

मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं

मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं

1 min
321

मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं

नई राहें बनानी हैं नये सपने सजाने हैं

 

बजाओ कोई ऐसी धुन कि हर कोई थिरक उट्ठे

उसी धुन पर कई नग़मे हमें भी गुनगुनाने हैं

 

हमारी सोच ही हमको बनाती है नया वरना

वही है आसमां धरती वही मंज़र पुराने हैं

 

उजालों के नये दीपक नई उम्मीद के तारे

निगाहों में बसाने हैं दिलों में जगमगाने हैं

 

सबक़ जो भी हैं सिखलाये समय ने, भूलो मत उनको

कमाये तजरुबे हैं जो, वही असली ख़ज़ाने हैं


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance