मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं
मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं
मुहब्बत और अखुव्वत के गुलो गुलशन खिलाने हैं
नई राहें बनानी हैं नये सपने सजाने हैं
बजाओ कोई ऐसी धुन कि हर कोई थिरक उट्ठे
उसी धुन पर कई नग़मे हमें भी गुनगुनाने हैं
हमारी सोच ही हमको बनाती है नया वरना
वही है आसमां धरती वही मंज़र पुराने हैं
उजालों के नये दीपक नई उम्मीद के तारे
निगाहों में बसाने हैं दिलों में जगमगाने हैं
सबक़ जो भी हैं सिखलाये समय ने, भूलो मत उनको
कमाये तजरुबे हैं जो, वही असली ख़ज़ाने हैं