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saru S

Romance Tragedy Classics

4.5  

saru S

Romance Tragedy Classics

इस दुनियाँ-ए-फ़ानी में क्यूँ रोता है

इस दुनियाँ-ए-फ़ानी में क्यूँ रोता है

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इस दुनियाँ-ए-फ़ानी में क्यूँ रोता है

हँसते-हँसते जीवन जीना होता है

 

मन उजला हो जाता है उसका यारों  

जो अश्कों से मन के मैल को धोता है

 

छोड़ो आलस की चादर अब उठ बैठो

पीछे ही रह जाता है जो सोता है 

 

नींद नहीं आती उसको आसानी से 

जो दिल में ख़्वाबों के अंकुर बोता है 

 

सारी दुनियाँ इस चक्की में पिसती है

शादी क्या है एक अजब समझौता है

 

ऐसा है इस जीवन का लेखा-जोखा

कोई कुछ पाता कोई कुछ खोता है।


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