अपनी ख़बर मिली न पता आपका मुझे
अपनी ख़बर मिली न पता आपका मुझे
अपनी ख़बर मिली न पता आपका मुझे
घर से उठा के इश्क़ कहाँ ले गया मुझे
दौर-ए- सुकूँ यहाँ से कहीं कूच कर गया
शायद लगा है रोग तिरे इश्क़ का मुझे
दिल टूटने के बाद मिरा हाल यूँ हुआ
शिक़वा रहा किसी से न कोई गिला मुझे
मेरा तो इस जहाँ में भरोसा तुम्हीं पे है
भगवान आज भी है तिरा आसरा मुझे
मैंने ख़ुदा से माँग लिया साथ आपका
दुनियाँ में आपसा नहीं कोई मिला मुझे
आसान तो नहीं थी मिरी ज़िंदगी कभी
पर साथ मुश्किलों में कोई दे गया मुझे।