आप आये तो बहारों के ज़माने आए
आप आये तो बहारों के ज़माने आए
आप आये तो बहारों के ज़माने आए
चाँद तारे भी यहाँ दीप जलाने आए
सिर्फ़ इज़्ज़त से लियाक़त से करी थीं बातें
मुफ़्त में हाथ मुहब्बत के ख़ज़ाने आए
सोचती हूँ कि गिराया है मुझे किस किस ने
और वो कौन थे जो मुझको उठाने आए
हमने पूछी थी कोई राह फ़क़त जीने की
और वो मरने की तरकीब बताने आए
इक दफ़अ उनको ज़रा मुस्कुरा के क्या देखा
तीर सब हम पे सवालों के चलाने आए
एक चिंगारी की जिनको भी ख़बर पहुँची वो
ले के नफ़रत की हवा आग लगाने आए