कोई अच्छी लगी है सूरत क्या
कोई अच्छी लगी है सूरत क्या
कोई अच्छी लगी है सूरत क्या
हो गई है तुम्हें मुहब्बत क्या
दे तो दूँ दिल निकाल के तुमको
रख सकोगे इसे सलामत क्या
बेचने के लिए नहीं रक्खा
तुम लगाते हो दिल की क़ीमत क्या
फूल सारे हसीन होते हैं
तुम अगर हो तो इसमें हैरत क्या
कौन सा दर्द खाए जाता है
हो गई आपकी ये हालत क्या
वक़्त ही आपको बतायेगा
ख़्वाब क्या है मियाँ हक़ीक़त क्या
हो इजाज़त तो हम चले जाएँ
है हमारी अभी ज़रूरत क्या
कोई हमको भी टूटकर चाहे
साथ ही जायेगी ये हसरत क्या
जीते जी तो नहीं मिली मुझको
मर के ही अब मिलेगी फ़ुरसत क्या
जिसको देखो उदास लगता है
शहर में आ गई है आफ़त क्या।