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सीमा शर्मा सृजिता

Abstract Inspirational

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सीमा शर्मा सृजिता

Abstract Inspirational

जवाब मांगता है

जवाब मांगता है

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मन में उठते प्रश्नों का जबाब मांगता है।

दिल गुजरे वक्त का हिसाब मांगता है।।


जो जा चुका है छोड़कर वीरान दिल का मकबरा 

धड़कनों में जो बसा नबाब मांगता है।।


जोड़कर रखी थी हमने गुल्लकों में जो कभी 

दौलतें वही बेहिसाब मांगता है।।


रौंदकर बढ़ते गये जहां में आगे जिनको हम 

पैरों तले अपने वही ख्याब मांगता है।।


भंवर में जानबूझकर "सृजिता" डुबोई थी कभी।

सुनहरे लम्हों से भरी वो नाव मांगता है।।


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