शहर ने निगल लिया गांव
शहर ने निगल लिया गांव
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हरी भरी वसुंधरा अनुपम नीला आसमां
उबड़ खाबड़ पगडंडी खेत खलिहान
पीपल पेड़ की आल्हादित ठंडी अनुपम छांव
बैलों के घुंगरुओं की झनकार पर
गुनगुनाते हलचलाते भोले किसान
नाचते गाते मोर , चहचहाते पंछी,
सांझ वेला लौटे सब अपनी ठांव
अब कहां वो नयनभिविराम अनुपम छटा
शहर के वाशिंदों ने निगल लिया अनुपम गांव।