STORYMIRROR

डॉ लाल Thadani

Abstract

4  

डॉ लाल Thadani

Abstract

शहर ने निगल लिया गांव

शहर ने निगल लिया गांव

1 min
407


हरी भरी वसुंधरा अनुपम नीला आसमां 

उबड़ खाबड़ पगडंडी खेत खलिहान


पीपल पेड़ की आल्हादित ठंडी अनुपम छांव

बैलों के घुंगरुओं की झनकार पर


गुनगुनाते हलचलाते भोले किसान 

नाचते गाते मोर , चहचहाते पंछी, 


सांझ वेला लौटे सब अपनी ठांव

अब कहां वो नयनभिविराम अनुपम छटा 


शहर के वाशिंदों ने निगल लिया अनुपम गांव।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract