बिल्ली हो गई अमर
बिल्ली हो गई अमर
मेरे घर के बाहर एक बिल्ली की मौत की ख़बर
कौवे, कबूतर, बकरी, गाय, कुत्ते हैरान आए नज़र
मेरे साथ साथ बेजुबानों पर भी हुआ है गहरा असर
रोज़ दाना पानी रोटी दूध खाते पीते थे सब मिलकर
धर्म, जाति, सांप्रदायिकता का इनमें नहीं था ज़हर
मेरे देश में जो देखने सुनने को मिल रहा है अक़सर
मेरी नासमझ पोती भी है चुप देखकर यह मंजर
दूध पिलाती थी जिसे वो बिल्ली हो गई अमर