आओ बैठो पास हमारे
आओ बैठो पास हमारे
आओ बैठो पास हमारे, बेरुख़ी मत दिखाओ न।
माफ़ कर दो, हम हैं तुम्हारे,सुनो अब मान जाओ न।
जब से तुम मुझसे रूठी हो, कुछ भी अच्छा नहीं लगता।
कुछ खाना तो दूर की बात, कुछ पीना अच्छा नहीं लगता।
याद हैं न वे सारे सुहाने पल, जब हम एक दूजे में खोते थे।
तब तुम सिर्फ़ हमारे थे और हम सिर्फ़ तुम्हारे ही होते थे।
तुम कोई भी सज़ा सुनाकर, उसके बाद मुझे माफ़ कर दो।
या दिल में जो है, सब बोलकर, फिर अपना दिल साफ़ कर दो।
एक बात याद रखनी है तुम्हें, कि तुम केवल मेरे हो।
ज़िंदगी में जो भी समय आए, उजाले हों या अंधेरे हों।