बहुत हैं
बहुत हैं
बदन की खुशबू या
बालों की लंबाई,
लबों की मुस्कान या
आँखों की गहराई
किस-किस को नापा करूँ,
तेरे जिस्म में पैमाइशें बहुत हैं
माथे की बिंदिया
या आँखों का काजल,
हाथों के कंगन
या पैरों की पायल
किस-किस को निहारा करूँ,
तेरे हुस्न में नुमाइशें बहुत हैं
तुझ संग जीऊँ
या तुझ संग मरूँ,
तुझ संग चलूँ
या तुझसे किनारा करूँ
किस-किस को ज़ोर करूँ,
तेरे इश्क में आज़माइशें बहुत हैं,
तुझे पूजूँ
या तुझसे प्रीत करूँ,
तुझसे हारूँ
या तेरी जीत करूँ
किस-किस को पूरा करूँ,
तेरे ज़हन में ख़्वाहिशें बहुत हैं ।।