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Ratna Kaul Bhardwaj

Abstract

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Ratna Kaul Bhardwaj

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भ्रुण हत्या

भ्रुण हत्या

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है यह देश, व्यवहारों व् संस्कारों का 

पाप और पुण्य की विचारदारों का 

फिर न जाने कौन सी हवा चली 

और उपजा विचार "गर्भपातों" का।  


नारी का शोषण कहीं पर कारण है 

कहीं आधुनिकता का प्रकोप है 

कहीं स्वाधीनता छिन न जाए

नारी के भीतर यह भी खौफ है। 


कहीं निर्दयता समाज की 

गर्भपात का कारण बनती है 

लिंग जांच में लड़की होने पर 

भ्रूण हत्या निश्चित हो जाती है।


कहीं आदमी के अत्याचार के कारण 

कुवांरी लड़कियां गर्भ धारण कर लेती हैं 

घर की आभरु बचाने की खातिर 

भ्रूण हत्याएं होती रहती हैं। 


भ्रूण हत्या होती है गलत धारणाओं से भी 

लड़की बोझ लड़के उत्पादक कहलाते हैं 

पर परिवार बढ़ता है लड़की से आगे 

यह सत्य न जाने क्यों भूल जाते हैं।


यूं तो औरत का तेज़ी से आगे बढ़ना 

समाज को मिला एक वरदान है 

पर इस दौड़ में खो गया ममता का आँचल 

यह मातृत्व का बड़ा अपमान है।


हत्या तो हर हाल में हत्या है 

ज़रुरत समाज में जागरूकता की है 

जिस देश में देवी पूजी जाती है 

तो क्यों बच्चियों की हत्या की जाती है। 


लड़की को मत बोझ समझो तुम  

हर वंश को वही आगे बढ़ाती है 

यही माँ है, यही बहिन, यही है गृह लक्ष्मी 

जीवन की कड़ियों को यही तो मिलाती है।


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