गर्भपात
गर्भपात
बेटा हो य़ा बेटी
भाग हैँ दोनो
एक ही पेड़ के सभी
बेटा है 'पेड़ की जड़ 'अगर
तो बेटी भी तो है ' शाख हरी भरी '
माना जड़ के बगैर
पेड़ खड़ न हो पाए कभी
पर शाखा के बगैर हरियाली भी
तो मिलती नही कभी
बेटा है 'मान ' जो
बेटी से भी तो है
'शान ' बनी
बेटा हो य़ा बेटी
भाग हैँ दोनो
एक ही पेड़ के सभी
बेटे से चलता है
नाम तो क्या ?
बेटी से भी तो
बढ़ता है मान सदा
माना बेटे के बगैर वंश न चले
बेटी के बगैर भी तो
कोई खुशी न मिले
बेटा हो या बेटी
जब पूरक है दोनों
दोनो के बगैर
पेड़ तो न बढे
न चले
टी फिर क्यू हम
कोख प्र ताढ़ते
और क्यूँ ये
पक्षपात की नींव धरे ?
