" जीवन मे भाग रहे है"
" जीवन मे भाग रहे है"
जिंदगी में हम लोग रोज ही भाग रहे है।
कभी तेज तो कभी धीमे, हम हांफ रहे है।।
पैसा कमाने हेतु सब ही रिश्ते त्याग रहे है।
पैसे के पीछे, हम तो रात-दिन जाग रहे है।।
एक अरसे से कभी सुकूं से, हम सोये नहीं,
एक अरसे से कभी सुकूं से, हम रोये नहीं,
भागमभाग में, खुद को मशीन मान रहे है।
जिंदगी में हम लोग रोज ही भाग रहे है।।
जैसे साथ बहुत लाये, बहुत लेकर जाएंगे।
वैसे रोज ही पाप को पल्ले से बांध रहे है।।
हम से अच्छे तो जानवर भी होंगे, दोस्तों।
जो कम से कम, संतोष, सुकूं दिमाग रहे है।।
सोचो जिनके लिये दिन-रात भाग रहे है।
क्या कभी, वे आप के पापों के साथ रहे है।।
त्याग दो दोस्तों, व्यर्थ की, यह भागमभाग।
छोड़ दो सब कुछ ही तुम ईश्वर के हाथ।।
कम खाओ, पर ईमानदारी सुकूं से कमाओ।
ईमानदारी का पैसा घर तुम लेकर आओ।।
खुदा कसम, शूलों में वो फूल गुलाब रहे है।
जो शांति, सुकूं पौधे बन जीवन बाग रहे है।।
जो ईश्वर भरोसे साथ जीवन मे जाग रहे है।
वो जीवन मे पानी मे कमल से बेदाग रहे है।।