"करवाचौथ व्रत"
"करवाचौथ व्रत"
करवाचौथ का व्रत है, कितना निराला
पतियों के लिए तो यह व्रत है, आला
मौत के मुँह पर लगाता है, यह ताला
करवाचौथ का व्रत, देखो, तुम कमाला
करवा ने कैसे पति का काल है, टाला
तब यमराज ने कही यह बात, आला
जो भी करेगा यह व्रत स्त्री या बाला
वो पाएगी, अखंड सुहाग की माला
ये आता कार्तिक कृष्ण चतुर्थी लाला
आज पत्नियां व्रत रखती है, निराला
पूरे दिन रहती है, वो बिना जलधारा
पूरे दिन नहीं खाती एक भी निवाला
संध्या पूजन करती है, ले फूल माला
सर्वप्रथम पूजती विघ्न मिटानेवाला
जो है, गणेशजी विघ्न मिटानेवाला
फिर पूजा करती है, वो पुत्री हिमाला
जिसे कहते है, मां पार्वती, जग सारा
साथ मे पूजा करती है, वो, ड़मरुवाला
कितना पवित्र व्रत करवाचौथ वाला
जिसमें दूजो के लिए न खाते, निवाला
हिंद संस्कृति में पति को माना, हिमाला
रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर, के पत्नी
देख छलनी से पति चेहरा चंद्रमावाला
फिर खोलती व्रत, वो करवाचौथवाला
पति चाहे कैसा हो, रोज पीता हो, हाला
फिर भी करती, वो व्रत करवाचौथवाला
वंदन हिन्द नारी, आप नित करती, कमाला
रोज पहनाती आप, पतियों को जयमाला
करवाचौथ का यह व्रत, कितना निराला
अंधेरी जिंदगी में फैलाता है, वो उजाला
पति सोचे, पत्नियों को दे, सम्मान दुशाला
आपका मीठा, बोल बदलेगा, जीवन काला