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एे ज़िंदगी

एे ज़िंदगी

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एे ज़िंदगी, आज इस सिराने से सर उठने से पहले 

मेरी महज़ कुछ मन्नत़े सुन ले

उस सर्द हवा के उड़ने से पहले अपने रूह को बिखरने से रोक ले।

एे ज़िंदगी, अब तक जिस धुन को सुनकर उसकी आगोश मे खो जाती थी,

आज उन यादों को बदल दे,

उन बातों को बदल दे।

एे ज़िंदगी, किसी और के अल्फाज़ों तले मरने से पहले, अपने अल्फाज़ों को पनपने दे,

गम उनमे भी होगा,

कागज़ मे नमी यहाँ भी होगी।

एे ज़िंदगी, आज एक ज़ुर्रत यह भी कर दे

एक दिन के लिये ही सही, अपने आप को बदल दे।

 


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