STORYMIRROR

Kavita Verma

Others

4  

Kavita Verma

Others

बिरवे से वृक्ष

बिरवे से वृक्ष

1 min
533

जब उसने समझना सीखा

रोपा एक छोटा बिरवा

उसकी उसकी आँखों में

जिस पर उगी

उमंगों की कोपलें

चाहतों की कलियाँ

सपनो के फूल

और सफलताओं के फल

खूब फूला खूब फला

फैलता गया

ऊपर आसमान में

जमीन के नीचे दूर दूर

बिरवा रोपने वाले हाथ

उसे फैलता देख अघाती आँखें

खुश थीं लेकिन अब महसूस करने लगीं

थम जाना चाहिए इस फैलाव को

इसके पहले कि यह बिखराव बने

उमंगों चाहतों सपनों ने

थमना कब सीखा है?

आसमान ने कहाँ तय की है कोई सीमा

असीमित को कब बाँधना है

कितने लोग जान पाते हैं

कहाँ समझ पाते हैं कि

इस फैलाव के नीचे

उन्हें रोपने वाले हाथ उनकी आँखें

तरस रही हैं

उनके प्यार की धूप को।


Rate this content
Log in