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कितनी विडम्बना

कितनी विडम्बना

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कुछ तो राहत दीजिये

धीरे से दरवाज़े पर आहट तो दीजिये

मन की अधिराई कम हो जायेगी

"बस आप आ गए" इसी का मनोमन आनंद पायेगी।

कितनी विडम्बना

ख़ुशी का माहौल छाया है

आपका पैगाम भी आया है

बस एक चीज़ का गम छाया है

"कब मिलोगे एकबार" इसी बात पर रोना आया है।

कितनी विडम्बना

दिल कभी कभी सोचता रहता है

मानव जीवन में कितनी विडम्बना है

कभी मिलन तो कभी बिछड़ना है

बस दिल को काबू में रखो फिर भी रोना है।

कितनी विडम्बना

मिलनसार है स्वभाव हमारा 

हमने आपको खूब पहचाना

पर ये क्या हो गया?

जमीं पर भूचाल क्यों आ गया?

कितनी विडम्बना

सूरज का तपना सहज है

आपका रुआब दिखाना महज एक अंदाज़ है

हम तो बस सिर्फ प्यार में डुबे रहते है

"आप के नयनो में" बहती गंगा का आभास करते रहते हैं।

कितनी विडम्बना

हम भी बह जाएंगे सागर की तलाश में

हर गली, हर शहर पूछते जाएंगे आप की आस में

कहीं से तो मिलेगा आपका अता-पता?

बस उसी से हो जाएगा ख़त्म हमारा रास्ता।

कितनी विडम्बना


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